बुधवार, 25 दिसंबर 2013

चाय जब नहीं रहेगी गर्म
शीशे के गिलास में
तब उठ जायेंगे दोस्त
और समेट लेंगे
अपनी चुहलबाजियाँ

पैसा तब भी होगा
जब दोस्त नहीं होंगे आस-पास
बस मोबाईल ही होगा साथ

एक सिगरेट
एक गिलास चाय
के हट जाने से
बन जाएगी दुनिया अजनबी
या आभासी

तब दोस्त उठा लेंगे अपने ताम -तोपड़े
और हो जायेंगे विदा
पहने हुए लबादे जब
दाखिल होंगे
वह हमारी दुनिया के बाहर
मशीनों के भीतर!

तब भी जलेंगे फेफड़े
साँस लेने में होगी दिक्कत!


 

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