पहाड़ के आखिरी किनारे की आवाज़ें जो न तो साहित्यिक 'ठसक' में शामिल हैं और न किसी की 'फसक' में.
यह अभिव्यक्ति आपको कैसी लगी, जरुर साझा करें.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
यह अभिव्यक्ति आपको कैसी लगी, जरुर साझा करें.