उदास बखत के
रमोलिया
उदासी का गीत गा
खिलेगा एक दिन
जंगलों में बुरांस
भरेगा एक दिन काफल
में रस
भरेगी नदियाँ
कूदेगी ताल की माछी
छीड़1 का
पानी फोड़ेगा
डासी पत्थर
जै हो !
इस बखत की संध्या
में
इस बखत की अमूसी रात
की चांख2 लगी है
तेरह बरस का राज्य
तेरह बरस का बछड़ा
बिज्वार3
नहीं बनेगा
कौन मेलगा रे उसकी
उगती जुड़ी पर तिल का तेल
आहा
तेरह बरस का बछड़ा
गोठ का बछड़ा
दूद का बछड़ा
रमकनी धमकनी बिना
गुरु की
बिना मंत्र की
बिना तंत्र की
कुर्सी की भेंट चढ़
गया रे
इस बखत के बीच
में
तेरह बरस का गोठ का
बछड़ा
क्रूर दैत्य की कैसी
भेंट चड़ा हाँ
गर्भ का अभिमन्यु
गर्भ का अजुवा बफौल 5
गर्भ के गोरिल6
और गर्भ के गंगुवा
के बाले7
सुनना रे सुनना
सुनना रे मेरी जात
के रखवालो
सुनना रे मेरे पीठ
के भाईयो
सुनना रे मेरी रकत
की धार
सुनना रे मेरे भाई
ग्वाले झकरुवा8
हाँ तेरह बरस का
बछड़ा
गोठ का बछड़ा
गोठ ही मार दिया गया
रे
हाय हाय !
शिब शिब !
उसकी खाल के पूड़े
बने
आंत की डोरी बनी
राजनीति की बेतुकी
ढोल मुड़ी
ढोल बजी, बेतुकी
बजी
राजा का बाजा बेतुका
ही होता है रे
आहा ! पितरों की
पूण्य भूमि में
कैसा नाच हुआ !
ताल से बेताल नाचे
राजा
आण-बाण बयाल ,आंचारी
के बेताल रथ
हमारे घरों
हमारे खामोश आंगनों
से होकर गुजरे
आहा ! हमारी माएं
रोई
हमारे भाई रोए
हम रो रहे है
अपतार को तरस रहे है
कहाँ जाएंगे रे
हमारे आंसू
ए हो
मेरे धर्म्यादास
मेरे रमोलिया
उदास बखत है ये
अगास देखना है इस
बखत
किस तरह बाँट
खाया होगा रे एक तिल का दाना सात बहनों ने
9
कैसे काटा होगा
विपदा का समय बता-बता
इस भारत में भारत10
लगा रे
दे पमपुकिया थाप
अपने हुडुक में
पंचकोटी मेरे पुरखों
का अगवानी है तू
ताल बेताल नाचता है
राजा रजवाड़ों को
भूत पिशाच को जलती
धूनी में जलाने का हुनर दिखा रे
गाँव के गाँव नचा
नचा नया अपतार कर दे
घर के घर धिरका दे
गोठ की पाल से धूरी
का भराना मिला दे
ए हो रमोलिया ऐसे
बखत में
बजा रे अपना अर्जदासी ढोल
कि जिसके बजने से
गाड़ के मैछेर अपनी
लुवासुरी जाल निकाल ले
कि घसैर अपनी
घुंघराली दराती पला के कमर खोस लें
लकड़ीया अपनी कुलहाड़ी
चिरानी अपनी लम्बे
दांतों वाली आरी
हालिया पहने ले
हाथों में ज्वारफार 12
ल्वार मार घन की चोट मारने लगे
बजे रणसिंगा ,भौकर
बजे
पैपरबाजा13
बजे
खानदानी खड़ग चमकने
लगे रे
बड़ीयाठ की धार से
रकत टपकने लेगे रे
कि जिसके बजने से
जगे अस्मिता मेरे मुलुक की मेरे देश की
आहा रमोलिया
आज तुझे ब्रहमहत्या
माफ़
आग तुझे गुरु हत्या
माफ़
नौ नाथ, चौरासी
सिद्दों का पाप नहीं
गौहत्या का पाप नहीं
रजस्वला स्र्त्री के
खून डूब जा
बिधवा स्त्री के
आंसू साप कर दे
जात का घोड़ा मार दे
नाल को माथे लगा दे
काली घोड़ी का सवार
हो जा
आते बसंत जाती पूस
की बयार हो जा
घाट-घाट बाट-बाट में
लुटते लौंड-लभारों का दगड़ीया बन जा रे
ऐसे उदास बखत में
उदासिया हूँ रे मैं
कहाँ जाऊं किधर जाऊं
हर रास्ता बंद है
या की हर रास्ता कर
दिया गया है बंद
काट रे जाल काट
पौ फाड़
पुरब की दिशा जगा
जगा रे सूरज के
घोड़ियों के जगा
इस बखत के बीच !
अनिल कार्की
9456757646
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1 रमोलिया - लोक कथा
कहने वाला 2 चांख - नजर 3 बिज्वार - बैल 4 लोक कथा का एक
मिथकीय पात्र 5 लोक कथा का एक
मिथकीय पात्र 6 लोक कथा का एक
मिथकीय पात्र 7 लोक कथा का एक
मिथकीय पात्र 8 लोक कथा का एक
मिथकीय पात्र 9 एक लोक कथा 10 लोक कथा का
प्रस्तुतिकरण 11 चौड़े चपटे मुह
वाली धारदार लोहे की फार बंजर जमीन को
जोतने में इस्तेमाल होती है 12 बैगपाईपर
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