लगातार जारी है कोशिश
सदियों से, कल्पों से
तथाकथित नैतिकताओं के मंत्रों से
सुखाने की उसे
लगातार जारी है कोशिश
जाति ,धर्म और उम्र के बंधनों में
जकड़ने की उसे
लगातार जारी है कोशिश
सूली में चढ़ा कर
सर कलम कर
सरेआम नंगा घुमा कर
उसके पात्रों को
डराने -धमकाने की
पर प्रेम है कि
कठोर से कठोर दमन शिला के
नीचे से भी
प्रस्फुटित हो ही पड़ता है
हरी-उचयभरी दूब की तरह
सदियों से, कल्पों से
तथाकथित नैतिकताओं के मंत्रों से
सुखाने की उसे
लगातार जारी है कोशिश
जाति ,धर्म और उम्र के बंधनों में
जकड़ने की उसे
लगातार जारी है कोशिश
सूली में चढ़ा कर
सर कलम कर
सरेआम नंगा घुमा कर
उसके पात्रों को
डराने -धमकाने की
पर प्रेम है कि
कठोर से कठोर दमन शिला के
नीचे से भी
प्रस्फुटित हो ही पड़ता है
हरी-उचयभरी दूब की तरह
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
यह अभिव्यक्ति आपको कैसी लगी, जरुर साझा करें.